नगरीय वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति

दिल्ली की सड़कों पर घने धुंध से दृश्यमान वायु प्रदूषण

भारत के नगरों में वायु गुणवत्ता की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित सौ नगरों में से त्रेसठ भारत में स्थित हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की स्थिति विशेष रूप से गंभीर है, जो तत्काल ध्यान एवं कार्यवाही की मांग करती है।

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में, शीतकाल के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक नियमित रूप से चार सौ से अधिक हो जाता है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए "गंभीर" एवं "घातक" श्रेणी में आता है। शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान के अनुसार, यदि वर्तमान प्रदूषण स्तर बना रहे, तो उत्तर भारत के निवासियों की जीवन प्रत्याशा दस वर्ष तक कम हो सकती है।

वाहन प्रदूषण की भूमिका

इस संकट के प्रमुख कारकों में से एक है पुराने वाहनों से होने वाला प्रदूषण, विशेषकर वे वाहन जो वर्तमान उत्सर्जन मानकों को पूर्ण नहीं करते। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार, भारत में पंद्रह वर्ष से अधिक पुराने इक्यावन मिलियन से अधिक वाहन हैं, जिनमें से अधिकांश वर्तमान नियमों द्वारा निर्धारित सुरक्षा सीमाओं से कहीं अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।

वाहन प्रदूषण के महत्वपूर्ण आंकड़े:

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, शीतकाल के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सूक्ष्म कण प्रदूषण का लगभग चालीस प्रतिशत भाग वाहन उत्सर्जन से आता है। यह स्थिति पुराने वाहनों की उपस्थिति से और भी गंभीर हो जाती है, जिनमें से कई अपने निर्धारित जीवन काल से कहीं अधिक समय तक चलाए जाते हैं।

जन स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों को दर्शाता चिकित्सीय आलेख

इस संकट के स्वास्थ्य प्रभाव गंभीर एवं व्यापक हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार श्वसन संबंधी रोगों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें बाल एवं वृद्ध नागरिक विशेष रूप से प्रभावित हैं। दीर्घकालिक श्वसन रोग, दमा, एवं हृदय रोग के मामलों में वृद्धि ने स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था पर भारी बोझ डाल दिया है।

विश्व बैंक के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण श्रम आय में कमी एवं स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि के चलते भारत की अर्थव्यवस्था को प्रतिवर्ष लगभग दो सौ इक्कीस अरब डॉलर की हानि होती है। बृहत उद्योग व्यवसाय स्थल चयन में वायु गुणवत्ता को प्रमुखता दे रहे हैं, जो अधिक प्रदूषित नगरीय केंद्रों में विदेशी निवेश को प्रभावित कर सकता है।

समाधान: वाहन पुनर्चक्रण एवं उत्सर्जन नियंत्रण

2021 में प्रारंभ की गई सरकार की वाहन विघटन नीति वाहन प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति कर लाभ एवं विघटन मूल्य के माध्यम से पुराने, प्रदूषणकारी वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहित करती है। वाहन पुनर्चक्रण मंच इस नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

भविष्य की ओर: स्वच्छ वायु की दिशा में

भारत चरण-छह उत्सर्जन मानकों का क्रियान्वयन, जो यूरोपीय मानकों के समकक्ष है, एक महत्वपूर्ण कदम है। परंतु, विद्यमान पुराने वाहनों के बेड़े को संभालना अभी भी महत्वपूर्ण है। नगर योजनाकार एवं पर्यावरण विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारतीय नगरों को एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें वाहन आयु सीमा का कठोर पालन, सुदृढ़ सार्वजनिक परिवहन प्रणाली, एवं हरित क्षेत्रों में वृद्धि सम्मिलित है।

एक स्वच्छ, स्वस्थ भारत के लिए, अपने पुराने वाहन के उत्तरदायी निपटान में हम आपकी सहायता कर सकते हैं। आइए, नगरीय वायु प्रदूषण को कम करने एवं एक अधिक धारणीय भविष्य बनाने में मिलकर योगदान करें।

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